ओ लोकतंत्र के प्रहरी
ओ लोकतंत्र के प्रहरी
ओ लोकतंत्र के प्रहरी,
कस ले कमर,
लोकतंत्र के महापर्व की
आयी घड़ी है।
ओ लोकतंत्र के प्रहरी,
मत भूल कि मताधिकार तेरा,
है जादू की एक छड़ी,
क्या धर्म, क्या जाति,
है लोकतंत्र सर्वोपरि।
ना चूक कर, ना भूल कर,
चुनकर सही, चुनकर खरा,
दिखा दे तू जादूगरी।
ओ लोकतंत्र के प्रहरी,
कस ले कमर,
लोकतंत्र के महापर्व की
आयी घड़ी है।
खोना नहीं ये अवसर जो है मिला,
चुन उसे जो अँधियारे में,
रोशनी है लेकर खड़ा,
चुन उसे जो हाथ थामे तेरा,
साथ है तेरे खड़ा।
चुन उसे जो उन्नति के,
पथ पर है अग्रसर,
चुन उसे जिसके लिए,
देश है सबसे बड़ा,
चुनकर सही, चुनकर खरा,
दूर अंधकार कर।
ओ लोकतंत्र के प्रहरी,
कस ले कमर,
लोकतंत्र के महापर्व की
आयी घड़ी है।
वादों का अंबार लगेगा,
कोई माया जाल बुनेगा,
कोई बंदर-नाच करेगा,
कोई बनकर मदारी,
डुग-डुग बजाएगा डुगडुगी।
मत होना भ्रमित,
रहना अडिग, रहना सजग,
है मतदान अधिकार तेरा,
है मतदान हथियार तेरा,
कर ठोक-पीट, कर छानबीन,
चुनकर सही, चुनकर खरा,
लिख ले मुक़द्दर नया।
ओ लोकतंत्र के प्रहरी,
कस ले कमर,
सूर्य किरणों की
अंधियारे से ठनी है,
वोट की शमशीर से प्रहार कर,
भ्रष्ट का तू नाश कर।
जीत ये महासमर,
होगा वह अद्भुत मंज़र,
उल्लासित, ९० कोटि प्रहरी जब,
जनतंत्र के महापर्व में,
गणतंत्र के महाकुंभ में,
पहन सूर्य-किरण जयमाल,
फहराएँगे विजय ध्वज,
सम्पूर्ण विश्व में गूंजेगी तब,
लोकतंत्र की जय जय कार।।