स्त्री
स्त्री
1 min
7.3K
असीम, उन्मुक्त लहरों सी हूँ
गहरी समुद्र सी वर्षा करूँ प्रेम की
खुशियों से दामन भरूं
जागती अनोखी मुरत प्यार की
फुलों की खुश्बू
सूरज की तपन
चांदनी सी शीतल
निश्चल हवा का कारवां हूँ
सृष्टि की वेदना-संवेदना के बीच
जुड़ी-कड़ी एतबार की आँखों से
बरसता वात्सल्य
आन्चल में छुपी छाया ममता की
नारी हूँ, वजूद हूँ जहाँ की
ज़रूरत नहीं मुझे शक्ति परीक्षण की