दोहरी ज़िंदगी
दोहरी ज़िंदगी
दोहरी ज़िंदगी का पैमाना नापा नहीं जाता,
साँस तो चल निकलती हैं, पर मुड़कर झाँका नहीं जाता,
वजूद मेरा चीख रहा है, पर मुक़द्दर से कुछ मांगा नहीं जाता,
दोहरी ज़िंदगी का पैमाना नापा नहीं जाता,
अठखेलियां करती हैं बातें, हर शब्द पिरोया नहीं जाता,
तवज्जो दूं आत्मा को अपनी, तन्हाई में भी रहा नहीं जाता,
दोहरी ज़िंदगी का पैमाना नापा नहीं जाता,
मोहब्बत करता है जहां सारा, इश्क़ भी सहा नहीं जाता,
दुनिया से दूर जाऊँ कहां सनम, दुनिया में रहा नहीं जाता,
दोहरी ज़िंदगी का पैमाना नापा नहीं जाता,
मैं आज हूँ खुद में दो, एक अच्छा एक बुरा इंसान रब्बा,
अब कौन कब जीता है मुझमें, कौन कब मरता कहा नहीं जाता,
दोहरी ज़िंदगी का पैमाना नापा नहीं जाता,