धड़कन
धड़कन
धड़कन से पूछता
जुबाँ नहीं होती
तो दिल का हाल
कैसे बयाँ करती
तेरी नजदीकियाँ।
बहारों से पूछता
बिन हवाओं
कौन रखता
खुश्बू का हिसाब
फूल नादाँ भोरें नादाँ
गुंजन कर,
किसको देते संकेत
कही तुम तो
नहीं निकल रही
जब तो आम के मोर
और टेसू के फूल
झाँक रहे,
टहनियों की खिड़कियों से
लगता बसंत ला रहा
तुम्हारे आने का पैगाम
धड़कन की जुबाँ भी
अब गुनगुनाने लगी।
इस मौसम में
दिल की धड़कन
बयाँ करती
तेरी नजदीकियाँ।।