बेरोजगार हूँ मैं!!
बेरोजगार हूँ मैं!!
बर्बाद हुई रियासत का लूटा हुआ सरदार हूँ मैं
क्योंकि बेरोजगार हूँ, पढ़ा लिखा बेरोजगार हूँ मैं
बेबसी लाचारी और शर्मिंदगी का आचार हूँ मैं
हाँ हाँ डिग्री होने पर भी बेरोजगार हूँ मैं
ऐसा नहीं है कुछ आता नहीं है
या काम करना मुझे भाता नहीं है
न ही मुझमें कोई कमजोरी है या
थोड़ी सी भी न मुझमें कामचोरी है
डिग्री है, समझ है और अच्छा ज्ञान है
फिर भी न जाने क्यों बंदा परेशान है
ऐसे तो बहुत पढ़ा हूँ फिर भी बेकार हूँ
क्योंकि मैं तो बेरोजगार हूँ
पहले एग्जाम थे तो किसी फंक्शन में नहीं जाता
अब तो एक शर्म से हर जगह सर को हूँ झुकाता
पड़ोसियों और रिश्तेदारों का फ़ेवरिट गॉसिप हूँ
जिसका डूबना तय है मैं एक ऐसा शिप हूँ
उम्मीद के दामन अब हाथों से छूटने लगे हैं
मेरे अपने सपने भी मुझसे रूठने लगे है
जंग लगी हुई बेकार सी तलवार हूँ
जी हां क्योंकि मैं बेरोजगार हूँ
डिग्री से इंजीनियर, पेशे से मैं बेकार
नौकरी मिलती 5000 महीने पगार
लाखों लगा कर जिस डिग्री को पाया
जिसकी खातिर सुख-चैन सब गंवाया
उसकी कोई कीमत नहीं समझ आ रही
अब मुझे छोटी मोटी जॉब नहीं भा रही
सरकार की लचर व्यवस्था का शिकार हूँ
जी बेरोजगार हूँ, मैं बेरोजगार हूँ
पापा के कदम अब रुकने से लगे हैं
वो मजबूत कंधे भी थकने से लगे हैं
दो बुझी आंखें मुझे पुकारा करती हैं
मेरे हालातों को माँ देख आहें भरती है
जिम्मेदारियों का बोझ भारी लगने लगा
मुझे मेरा वजूद ही लाचारी लगने लगा
नाकाम उम्मीदों,टूटते सपनो का संसार हूँ मैं
लाचार हूँ क्योंकि बेरोजगार हूँ मैं