चुप रहने से
चुप रहने से
दिल का बोझ उतर जाता है सच कहने से
ग़म दिल का भी बढ़ जाता है चुप रहने से !
जब दिल चाहे प्यार करो इज़हार करो
दिल को चाहत कब मिलती है चुप रहने से !
वक्त निकल जाता है वापस ना आता है
दिल पागल घायल रहता है चुप रहने से !
रस्म ज़माना क्या कर लेगा दिल पर तेरे
आग सुलगती है सीने मे चुप रहने से !
छोड़ो बंदिश, भूलो दुनिया, रस्म जलाओ
दिल को क्या होता है हासिल सब सहने से !