Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

चुप रहने से

चुप रहने से

1 min
7.3K


दिल का बोझ उतर जाता है सच कहने से

ग़म दिल का भी बढ़ जाता है चुप रहने से !


जब दिल चाहे प्यार करो इज़हार करो

दिल को चाहत कब मिलती है चुप रहने से !


वक्त निकल जाता है वापस ना आता है

दिल पागल घायल रहता है चुप रहने से !


रस्म ज़माना क्या कर लेगा दिल पर तेरे

आग सुलगती है सीने मे चुप रहने से !


छोड़ो बंदिश, भूलो दुनिया, रस्म जलाओ

दिल को क्या होता है हासिल सब सहने से !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama