तुम्हारी हँसी
तुम्हारी हँसी
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तुम्हारी हँसी कितनी गहन है
सघन सतपुड़ा के जंगलों की तरह
तुम जब हँसती हो ...
मैं खो जाता हूँ
मत हँसा करो
अब ख़ुद को खोने से डर लगता है
मत हँसा करो
मैं ख़ुद को तुममें टुकड़ा- टुकड़ा बचा हुआ पाता हूँ
मत हँसा करो
मैं तुममें बेवज़ह ही ज़िन्दा हो जाता हूँ ।