मेरा दिल यहां बेगाना क्यों है?
मेरा दिल यहां बेगाना क्यों है?
मैं भटक रहा तेरी चौखट पर
तेरे शहर में सन्नाटा पसरा क्यों है
हवा से गुफ्तगू हो रही है यहां
रूहों का बसेरा यहां लगा क्यों है।
चंद कदमों पर चल कर देखा
खिड़की के भीतर ग़म क्यों है
मन के बादल समझे ही नहीं
मुझे मिलने की कशिश क्यों है।
सूरज से तप रहा है ये मेरा जहां
तेरे घर की छत पर छाया क्यों है
चौराहे पर लगे सिग्नल का इशारा
तेरे आशियाने की तरफ क्यों है।
गोधुली बेला होने को आई
तेरे से मेरा मिलन कब है
मेरे सपनों में मत आना तुम
इन आंखों में नींद ही कम है ।
दो कदम दूर है मंज़िल मेरी
फिर लबों में कंपन सी क्यों है
मेरे घर का एक सितारा हूं मैं
मेरा दिल यहां बेगाना क्यों है।।