दूसरी दुनिया
दूसरी दुनिया
भगवान से सपने में माँगूँ
ऐसा एक वरदान दो
ऐसी एक शक्ति मुझे दो
जो किसी के पास न हो|
अगले दिन उठा तो देखा
चिड़ा चिड़ी बातें थे करते
समझ रहा मैं उनकी भाषा
पास खड़ा फिर भी न डरते|
कहते अपने चूजे का भी
घोंसला एक अपना होगा
चिड़िया मिलेगी इसको ऐसी
जैसा इसका सपना होगा|
इतने में एक बाज आया
चोंच में ले गया वो उसको
मैंने पूछा क्या किया ये
बोला, भूखा बच्चा खाये इसको|
पिंजरे में एक तोता मेरा
पूछा उससे तू क्या कहता
बोला नीले आसमान में
उड़ान मैं भी भरना चाहता|
पिंजरा खोला उड़ गया वो
तोतों की टोली ने भगाया
डरा डरा और सहमा सा वो
लोट के मेरे घर को आया|
दूध लेने था मैं जाता
दोधी पड़ोस में था होता
बछड़े को वो दूध पिलाकर
बाल्टी में दूध दोहता|
मैंने पूछा गौमाता को
दूध क्यों नहीं रोक लेती
बछड़ा तो अब पी चूका है
और दूध तू क्यों है देती|
मेरा दूध किसी काम आए
मेरा इसमें कुछ न जाता
वो भी बेटा, तुम भी बेटे
तुम भी तो मुझे कहते माता|
अगले दिन सो के उठा तो
समझ न आये, बोलें क्या वो
उनकी भाषा पहले जैसी
वरदान बस एक दिन का था वो|
उनकी दुनिया हमारे जैसी
दुख और सुख दोनों यहीं हैं
सोचो कुछ होता कुछ और है
जो हो रहा वो ही सही है|