विज्ञान छात्र कवि की कल्पना
विज्ञान छात्र कवि की कल्पना
फिजिक्स सब फेल है, तुम्हारी आँखों के आगे
मैथ्स डब्बा गोल है, तुम्हारी बातों के आगे
केमिस्ट्री कोई झोल है, तुम्हारी यादों के आगे
बायो डॉंवाडोल है, तुम्हारी साँसों के आगे
सारे सबजेक्ट सारे कन्सेप्ट, बदल के रख दिए तुमने
सारे प्रिन्सीपल सारे ओब्जेक्ट, पलट के रख दिए तुमने
सायन्स की समझ से बाहर, एक अजूबा हो तुम
सायन्स स्टुडन्ट रह चुके शायर की महबूबा हो तुम
तुम्हारी चमकती हुई नज़रों ने ही तो
मुझे रिफ्लेक्शन का पाठ पढ़ाया
तुम्हारी झुकती हुई पलकों ने ही तो
मुझे ग्रेविटी का गुर सिखाया
तुम्हारी महकती हुई खुशबू ने ही तो
मुझे ओक्सिजन का एहसास कराया
तुम्हारी सुलगती हुई आरज़ू ने ही तो
मुझे जला-जलाके कार्बन बनाया
तुम्हारे मखमली एहसास ने ही तो
मुझे बिना दिल के जीना सिखाया
तुम्हारे अजनबी उस अक्स ने ही तो
मुझे चट्टानों सा मज़बूत बनाया
तुम्हारे लहराते गेसुओं ने ही तो
मुझे न्यूटन के नियम बताये
तुम्हारे बलखाते बाजुओं ने ही तो
मुझे वायु के सिद्धांत समझाये
तुम्हारी बेहिसाब वफ़ाओं ने ही तो
मुझे हिसाब करना सिखाया
तुम्हारी बेनज़ीर सी बातों ने ही तो
मुझे सवाल पूछना सिखाया
सारे नियम सारी थियरीझ पलट के रख दी तुमने
सारे किरदार सारी स्टोरिझ बदल के रख दी तुमने
विज्ञान के वज़ूद से दूर बस एक सपना हो तुम
विज्ञान छात्र रह चुके कवि की कल्पना हो तुम।