बाकी रहा
बाकी रहा
एक बार गर तुम मिल जाओ
हिसाब सारा रफा दफा हो जाये, जो बाकी रहा।
घुल रहें हैं कुछ इस तरह तेरी याद में
छिपा तो न पाये पर तब बताना बाकी रहा।
वो कसमें-वादे किये किसने और तोड़े किसने ?
इसका फैसला भी तो होना बाकी रहा।
गलत कौन था हम दोनों या वो बेदर्द वक्त ?
ये भी तो तय होना लगता है बाकी रहा।
किस्मत ने जो पलट दिये थे पाँसे
वो किसके दामन में गिरे, ये देखना बाकी रहा।
मिलने पर पहली बार तुम मुस्कुराये थे या हम ?
ये भी तो याद आना बाकी रहा।
दुनिया से लड़कर दिल में संजोई तुम्हारी महोब्बत,
आखरी साँस तक निभाने का अरमान बाकी रहा।
जी लिये तुम भी और हम भी अपनी जिंदगी अलग,
सपनों को हकीकत में, साथ-साथ जीना बाकी रहा।