Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

आम सी हूँ मैं

आम सी हूँ मैं

1 min
450


मत आस्वस्थ करो मुझे मैं अल्हड़ चंचल नदी हूँ

तुमने शांत स्थिर झील समझा,

नहीं बनना खास, मालकिन नहीं बनना

अमीरात से सजी कैद की..!


आम सी ज़िंदगी के चंद लम्हों में पूरी साँसें जी लूँगी 

मेरे हिस्से का वक्त, मेरे हिस्से की खुशी

मेरी हथेली पर रख दो

मेरी क्षमता को तवज्जो दे दो 

निर्णय शक्ति का अधिकार पा कर मुक्त विहंग बनने दो..!


माना की सात फ़ेरो ने तुम्हें इजाज़त दी है पति कहलाने की,

अधिष्ठाता मैंने बनाया, मांग में सजाकर सरताज बनाया,

तुम तो खुद को भगवान समझ बैठे..!


सुख की परिभाषा मेरी तुम्हारे ख्यालों से विपरीत है,

तुम माया में लिपटे मोहांध मानव 

मैं मुक्ति की मालकिन, 

कैसे स्वीकृत हो तुम्हारी हीरो जड़ित जंजीर..!


मेरी शख़्सियत को रौंदकर तुमने

महल खड़ा किया दिखावे की मशहूरियत का

नाम कमाने का ज़रिया नहीं मैं

हमकदम, हमराज़, हमख़याल हूँ..!


एक वादा किया होता इज्ज़त अफज़ाही का

हमसफ़र का हाथ थामें 

दो पाटन पर चलते ताउम्र 

ज़िंदगी की गाड़ी का दूसरा पहिया थी 

महज़ सोने से सजी कठपुतली बना दिया..!


अब कहाँ ढूँढू खुद को 

बाबा के घर का द्वार भी बंद हो गया 

मैया ने कहा था बेटियों की जहाँ डोली उतरती है

वहीं से अर्थी उठती है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy