है चाँद छूने की तमन्ना
है चाँद छूने की तमन्ना
है चाँद छूने की तमन्ना
तो ख़्वाब देखिए,
है रौशनी की ग़रज़
तो आफ़्ताब देखिए ।
गर जाननी है जिद्दो-जहद
रोटी के वास्ते,
किसी भी ग़रीब की
ताब-ए-ताब देखिए ।
न जाने खड़े हो गए थे
कितने सवालात,
मुँह छुपा कर फिरते हुए
जवाब देखिए ।
जिन्हें ख़ौफ़े-ख़ुदा न था,
अकड़ दिखाते थे,
पल भर में उनसे छिन गए
ख़िताब देखिए ।
माना अभी 'गुलाब' ने
शोहरत नहीं पाई,
पर एक नज़र इधर भी
जनाब देखिए ।
आफ़्ताब = सूरज
ग़रज़ = इरादा
जिद्दो -जहद = संघर्ष
ताबे-ताब = मुश्किल सहने की क्षमता
ख़ौफ़े-ख़ुदा = ईश्वर का डर
ख़िताब = पदवी