A Salute to Shaheed Bhagat Singh, Sukhdev & Rajguru
A Salute to Shaheed Bhagat Singh, Sukhdev & Rajguru
काफ़िला इन्कलाबियों का
सुनहरे लफ़्ज़ों में इक सन्देश दे गया काफ़िला1 इन्कलाबियों का,
कि कोशिशों के बाद ही शुरू होता है सिलसिला कामयाबियों का।
मोमबत्ती की लौ में वो सेक कहां जो उनके खौलते खून में था,
अन्दाज़ा नहीं लगाया जा सकता सरफ़रोशी में सुलगी बेताबियों का।
काम को अंजाम2 देने के लिए इंतज़ार करना इनकी फ़ितरत नहीं,
हुकूमतों के पास भी कोई जवाब नहीं था इन हाज़िर-जवाबियों का।
पिंजरे में रहने वाला ही समझ सकता है आज़ादी की कीमत को,
हर आज़ाद कर्ज़दार है गुलामी के तालों को मिली इन चाबियों का।
फाँसी के फन्दों को हंसते-२ फूलों का हार समझ गले से लगा लिया,
जल्लाद का ज़मीर भी ज़िल्लत3 में था देखकर जलवा नायाबियों4 का।
कमी तब भी नहीं थी मुल्क में दगाबाजों और गद्दारों की अशीश,
अपने दम पर ये पर्दाफ़ाश कर गए बहरूपियों और नकाबियों का।
1.caravan 2.end 3.insult 4.rare