बाल भ्रूण हत्या
बाल भ्रूण हत्या
बाल भ्रूण हत्या
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बाल भ्रूण हत्या
कहते है पाप है
फिर क्यूं
किया जाता है
जानबूझकर ये पाप
क्यूं करते हो
उस अजन्मी..असहाय कन्या का
विनाश
क्या प्रकृति से लङने का
भगवान का फैसले बदलने का
सामर्थ्य समझते हो
या
खुद को ही कर्ता धर्ता बना बेठे
इस जीवन में
कभी सोचा है
ये कुकर्म करने से पहले
कि हम क्या करने जा रहे हैं
उस अलौकिक शक्ति का
फैसला बदलने जा रहे है
खुद की जिंदगी तो सुधरती नही
पर किसी और के जन्म का
निर्णय लिये जा रहें है
भय मिट गया है आज
करनी से मनुष्य अपनी नही आता बाज
खुद को खुदा समझने वाले
सब यहीं धरा रह जायेगा
अपने इन पापों का लेखा
प्राणी तू यहीं पायेगा
मत हो इतना अंधकार मे गुम
न बिगाङो अपनी करनी तुम
जीवन तो खुशी से काट लोगे
पर आखिरी पङाव मे
ए मानव !
तु कहां से मुक्ति पायेगा