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Aishwarya Tiwari

Abstract

5.0  

Aishwarya Tiwari

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जननी

जननी

1 min
548


मुझे रचने वाली उस रचना को क्या रचूँ

जिस के आगे मेरे ये शब्द बहुत छोटे है

उस जननी को कैसे जन्म दूँ मै मेरी कविताओं में

क्यूँकि उस ने ही तो मुझे अपने पर चलना सिखाया है।


उस के अक्षरों से ही तो मैंने शब्दों का महाकुंभ पाया है

कैसे उस मिट्टी की मुरत को गढूँ मैं मेरी मिट्टी से

क्यूँकि मेरी मिट्टी मे भी तो उस मुरत की ही महक और अंश है

उसकी रंगत मे कैसे अपने पसंद के रंग भर दूँ।


जबकि मुझे उसकी ही रंगत से मिला है मेरा अस्तित्व मेरी पहचान

मैं मेरे छोटे से लिबासों में कैसे जकड़ लूँ उसे

वो भी तो उसके ही द्वारा दिए गए हैं मुझे

मैं एक बड़ी सी कहानी की एक छोटी सी रचना।


हमेशा रहना चाहती हूँ छोटी ही

ताकि खेल सकूँ एक छोटे शब्द की तरह

मुझे जन्म देने वाली कहानी की गोद में

मैं सिर्फ और सिर्फ पढ़ना चाहाती हूँ।


मैं रच नहीं सकती अपने शब्दों में भी

उस रचना को जिसने मुझे रचा है।


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