चीड़ के फूल
चीड़ के फूल
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चीड़ के फूल हैं गिरे हर सू
और ये माज़ी के सिलसिले हर सू
सुस्त से पड़ गए सभी बादल
पर्वतों पर घिरे-घिरे हर सू
उंघते आसमां के कैनवस पर
रंग कितने ही थे भरे हर सू
खींच कर धुंध का ये परदा सा
पेड़ सोये खड़े-खड़े हर सू
बाग़ है या है यह चुनर तेरी
फूल ही फूल हैं खिले हर सू
जाग कर भी वो ख़्वाब जारी है
जानेमन तू ही तू दिखे हर सू
इश्क़ जब से हुआ उसे तब से
देता फिरता है मशवरे हर सू