Inspirational
अधूरी लिखी
चंद नज्मों के बीच
धूप से भरा
फुरसत से सजा दिन
कोई आता है
और बिना कुछ कहे
एक नज्म उठा कर
चुपचाप पढ़ता है
बर्फीले पहाड़ पर जैसे
अलाव जलता है
नज्म को
मुकम्मल बनाता है ...।