सर्दी में धूप
सर्दी में धूप
अधूरी लिखी
चंद नज्मों के बीच
धूप से भरा
फुरसत से सजा दिन
कोई आता है
और बिना कुछ कहे
एक नज्म उठा कर
चुपचाप पढ़ता है
बर्फीले पहाड़ पर जैसे
अलाव जलता है
नज्म को
मुकम्मल बनाता है ...।
अधूरी लिखी
चंद नज्मों के बीच
धूप से भरा
फुरसत से सजा दिन
कोई आता है
और बिना कुछ कहे
एक नज्म उठा कर
चुपचाप पढ़ता है
बर्फीले पहाड़ पर जैसे
अलाव जलता है
नज्म को
मुकम्मल बनाता है ...।