लॉकडाउन
लॉकडाउन
नगर शून्य बन गया
रास्ता बंजर सा हो गया
वृक्ष एकांत से सूख गया।
पंछी की कोलाहल सुनी
सिपाही की पुकार सुनी
भूखे की रुदन सुनी।
डाक्टर की थकान देखी
मजदूर की निराशा देखी
रुग्ण की कतार देखी।
गली सुनसान क्यों?
आदमी खामोश क्यों?
श्मसान मौन क्यों?
कोरोना का इतना खौफ?
पुलिस का कितना रौब?
लॉकडाउन क्या है चीज?