यकीनन मेरा गुजरा हुआ कल है तू
मगर अब भी तू मेरे लिए खास है।
तू मेरा हो न सका कोई मलाल नही
सुन! इक लम्हा है मुझपर
जिसमें तू मेरे पास है।
तेरी दो मुस्कुराती हुई तस्वीरें हैं मुझपे
तेरी चूड़ियों का एक मर्तबान है
कुछ कागज के टुकड़े है जिंदा
जिनमे तेरा आख़िरी सलाम है।
तेरे अधूरे छूटे कुछ कैनवास है
जिनमे तेरे पूरे होने का अहसास है।
तू मेरा हो न सका कोई मलाल नही
सुन! इक लम्हा है मुझपर
जिसमें तू मेरे पास है।
उसी बैंच पे तेरी जगह छोड़ के बैठता हूँ
जहाँ बैठती थी तू मेरी बाहों के सहारे
उस शाम की सी शाम होती ही नही अब
जब सीने से लगी थी तू गोमती किनारे
सिंदूर की डिब्बी, संभाल रखी है अभी तक
इमामबाड़े की सीढ़ियों पे भूला हुआ तेरा
खुशबू से भरा मुझ पर तेरा रुमाल है
तू मेरा हो न सका कोई मलाल नही
सुन! इक लम्हा है मुझपर
जिसमे तू मेरे पास है
चुरा के छुपा ली थी जो सिगरेट तुझसे
चारबाग़ की उस याद में तू मेरे साथ है।
बेकदरी, बेपरवाही, बेहयाई सब काफ़ूर
बस ये खयाल की तेरे रूठ जाने का खयाल है
मेरी जिंदगी के पन्नो में तेरा जो किरदार जुड़ा है
उसकी कुछ गजलें मेरे पास है कुछ
कहानियां मेरे पास है
तू मेरा हो न सका कोई मलाल नही
सुन! इक लम्हा है मुझपर
जिनमे तू मेरे पास है।