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Mona Sharon

Classics Inspirational Tragedy Abstract Children Thriller Others

5.0  

Mona Sharon

Classics Inspirational Tragedy Abstract Children Thriller Others

"बाबा: एक अनमोल याद"

"बाबा: एक अनमोल याद"

2 mins
278


"आप क्यों ये दुनिया छोड़ चले, इतनी भी क्या जल्दी थी;

गोदी में खिलाते थे बाबा, हाथों पे झुलाते थे बाबा|

वैसा प्यार किसी में न दिखता, आप कितने अच्छे थे बाबा||


आप क्यों ये दुनिया छोड़ चले, इतनी भी क्या जल्दी थी;

आप कभी न रोने देते थे, हर वक़्त हंसाते रहते थे|

वो कौनसा फन आता था, जो आँखों से पढ़ लेते थे||


आप क्यों ये दुनिया छोड़ चले, इतनी भी क्या जल्दी थी;

आज आंखों में आंसूं है मेरे, और पोंछने वाला कोई नहीं|

आपके नाम से मैं दम भरती थी, आप मेरी ताक़त थे बाबा||


आप क्यों ये दुनिया छोड़ चले, इतनी भी क्या जल्दी थी;

हर चाल पर नज़र रखते थे, अच्छा बुरा सिखाया करते थे|

एहसास दिलाया करते थे, आप कभी न थकते थे बाबा||


आप क्यों ये दुनिया छोड़ चले, इतनी भी क्या जल्दी थी;

मेरी हर गलती को माफ़ करे, मेरे नखरों को सराहते थे बाबा|

आज जो भी हूँ वो आपकी मेहनत है, और खुदा की रेहमत है||


आप क्यों ये दुनिया छोड़ चले, इतनी भी क्या जल्दी थी;

आज दिल ये मेरा नहीं मान रहा, अपनी झलक दिखला दो ज़रा|

आपका हँसता चेहरा याद आ रहा, मेरी नज़र आपको ढूंढ रही बाबा||


आप क्यों ये दुनिया छोड़ चले, इतनी भी क्या जल्दी थी;

बच्चे मुझसे पूछ रहे, कैसे थे मेरे बाबा;

कैसे बताऊँ मैं उनको, कोहिनूर थे मेरे बाबा|

मेरी इज़्ज़त व शान मेरी दौलत व् जान थे बाबा,

मेरे दिल में आज भी ज़िंदा हैं,अनमोल थे मेरे बाबा||"


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