"बाबा: एक अनमोल याद"
"बाबा: एक अनमोल याद"
"आप क्यों ये दुनिया छोड़ चले, इतनी भी क्या जल्दी थी;
गोदी में खिलाते थे बाबा, हाथों पे झुलाते थे बाबा|
वैसा प्यार किसी में न दिखता, आप कितने अच्छे थे बाबा||
आप क्यों ये दुनिया छोड़ चले, इतनी भी क्या जल्दी थी;
आप कभी न रोने देते थे, हर वक़्त हंसाते रहते थे|
वो कौनसा फन आता था, जो आँखों से पढ़ लेते थे||
आप क्यों ये दुनिया छोड़ चले, इतनी भी क्या जल्दी थी;
आज आंखों में आंसूं है मेरे, और पोंछने वाला कोई नहीं|
आपके नाम से मैं दम भरती थी, आप मेरी ताक़त थे बाबा||
आप क्यों ये दुनिया छोड़ चले, इतनी भी क्या जल्दी थी;
हर चाल पर नज़र रखते थे, अच्छा बुरा सिखाया करते थे|
एहसास दिलाया करते थे, आप कभी न थकते थे बाबा||
आप क्यों ये दुनिया छोड़ चले, इतनी भी क्या जल्दी थी;
मेरी हर गलती को माफ़ करे, मेरे नखरों को सराहते थे बाबा|
आज जो भी हूँ वो आपकी मेहनत है, और खुदा की रेहमत है||
आप क्यों ये दुनिया छोड़ चले, इतनी भी क्या जल्दी थी;
आज दिल ये मेरा नहीं मान रहा, अपनी झलक दिखला दो ज़रा|
आपका हँसता चेहरा याद आ रहा, मेरी नज़र आपको ढूंढ रही बाबा||
आप क्यों ये दुनिया छोड़ चले, इतनी भी क्या जल्दी थी;
बच्चे मुझसे पूछ रहे, कैसे थे मेरे बाबा;
कैसे बताऊँ मैं उनको, कोहिनूर थे मेरे बाबा|
मेरी इज़्ज़त व शान मेरी दौलत व् जान थे बाबा,
मेरे दिल में आज भी ज़िंदा हैं,अनमोल थे मेरे बाबा||"