बदनाम इश्क़
बदनाम इश्क़
बस इतना सा इश्क़ वो हमसे निभा दे
देखूं जो उन को ज़रा सा मुस्कुरा दे
रसीले लफ्ज़ों से ना मार डाले मुझको इश्क़
अगर हो तो आंखों से समझा दे
जब मौसम-ए-बारिश हो
घर से बाहर निकले ना रोके खुद को
बस नशीले जाम पिला दे
और जब होगी हाँ पागल ना हो जाऊं
आरजू हुस्न वालों से पहले महखाने लगवा दे
नाम बहुत है पहले अब थोड़ा बदनाम कर
की 'पंवार' शायर ना काफी अब इसे दीवाना बना दे