सार्वभौमिक खालीपन
सार्वभौमिक खालीपन
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कोई असल में वो नहीं होता
जो वो अक्सर दिख जाया करता है राह चलते
मुस्कुराते, खिलखिलाते
हाथ मिलाते गले लगाते
नहीं होता कोई वो
जो आसानी से
सामान्य अवस्था में रहता है
बल्कि कोई वो होता है
जिसकी झलक
वो दिखला जाता है कभी-कभार भावावेश में
अतिअनुकूल
और अतिप्रतिकूल परिस्थितिओं के दरमियान
धनात्मक और ऋणात्मक भावों के अधीन
ख़ुद का प्रस्तुतीकरण ही
तय करता है
किसी की उच्चतम और निम्नतम सीमायेँ
जिनके बीच भटकते रहते हैं
करते रहते हैं दोलन
या पानी भरे टीन के डब्बे में
गंधक के टुकड़े सी गति से करते रहते हैं मिलान
हाँ वैसे ही
जैसे जाना जाता है किसी भी बर्तन का आकार
उसका नाम
उसकी सीमाओं से
वर्ना अंदर का खालीपन तो बाहर सा है
सबका एक सा है
बात बहुत पुरानी है
है हर बार नई पर
क्योंकि पीढ़ियाँ नई हैं और सीढ़ियाँ भी