मेरे हमसफ़र
मेरे हमसफ़र
मेरे हमसफ़र मेरे हमराज़
दूर हो रहे हैं तुमसे हम अब
तोड़ के रिश्ते तुझसे
अजनबी-अजनबी
से हो रहे हैं अब....
फिर उन्हीं राहों पर लौट रहे हैं हम
जहाँ से ये सफर शुरु हुआ था
दिल अपने जुड़े थे एक दूजे से
और सफर का आगाज़ हुआ था....
नजरे चुराते हो हमसे तुम
आजकल ये जानते हैं हम
अपने दिल के राज छुपाते हो
हमसे ये जानते हैं हम.....
अंजाम मोहब्बत का हमारी
अब जुदाई है इसलिए
तुझसे हर रिश्ता तोड़ते हैं हम
तेरी हर खता के लिए माफ किया हमने
जा बेवफा तुझे बख्श दिया हमने...।