माँ
माँ
तस्वीर से झांके मुखड़ा सलोना
तेरी खुशबू से महकता कोना-कोना
मगर लगती हैं माँ ये बातें बेमानी
तुम्हें याद करके जब आता है रोना
बड़े प्यार से तूने माँ मुझको पाला
जब लड़खड़ाया था तूने संभाला
वो थक-हार के लौटकर आना घर और
तेरी गोद में रख के सर घंटों सोना
मगर लगती हैं माँ ये बातें बेमानी
तुम्हें याद करके जब आता है रोना
सुबह अब मुझे कोई उठाता नहीं माँ
हाथ मेरे सर पर फिराता नहीं माँ
सुन लेती थी बिन कहे सारी बातें
मैं अब कह रहा हूँ तो आकर सुनो ना
मगर लगती हैं माँ ये बातें बेमानी
तुम्हें याद करके जब आता है रोना
तू पास थी जब ना मैंने कदर की
रहा बेफिक्र ही ना तेरी फिक्र की
तू इक बार आ जा, मैं अब चाहता हूँ
तेरे पैरों को अपने अश्कों से धोना
मगर लगती हैं माँ ये बातें बेमानी
तुम्हें याद करके जब आता है रोना