Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

भीड़ नहीं बनना है मुझको

भीड़ नहीं बनना है मुझको

1 min
478


भीड़ नहीं बनना है मुझको,

भेड़ नहीं बनना है मुझको,

भीड़ को नहीं सौपना है खुद को,

भयवाह मौत नहीं मरना है मुझको,

मखमल नहीं काँटों पर चलना है मुझको,

सोफे पे नहीं अंगारों पर तपना है मुझको,

उपहास के समक्ष घुटने टेकना नहीं है मुझको,

भीड़ नहीं बनना है मुझको,

भेड़ नहीं बनना है मुझको।


तुम लाख बत्तीसी दिखलाओगे,

मेरे क्षमता का मजाक बनाओगे,

मैं उसे ही अपना प्रण लूँगा,

जीने का नहीं मरने का हर क्षण वचन लूँगा,

मैं एयरकंडीशनर की सुगंध नहीं, अंगीठी का घुटन लूँगा,

मैं सौ वर्ष जियूँ ना जियूँ पर,

एक ही जन्म में कई जन्म और मरण लूँगा,

पर खुद को भीड़ का हिस्सा ना बनने दूँगा,

मैं भेड़ की भाँति खुद को ना चरने दूँगाI


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational