चुप्पियों से प्रेम
चुप्पियों से प्रेम
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चुप्पियों से प्रेम
कितना आसान होता है
ख़ुद को उन लोगों के सम्मुख बयाँ कर जाना
जो अपने होते हैं
कितना मुश्किल होता है
अपने उस कहे को वापस खींच पाना
जो अपनापन नहीं जानते
इसीलिए, आजकल
ख़ुद को किसी के सामने खोलने से डरता हूँ
इसीलिए, अपनी चुप्पियों से आजकल बेइंतेहा प्रेम करता हूँ।