अभिनन्दन
अभिनन्दन
अभिनन्दन ने देश का, बढ़ा दिया है मान
अरि को भी झुकना पड़ा, गरजा सिंह समान।
दुश्मन के घर में घुसा, भारत का यह लाल
तनिक न यह अरि से डरा, लड़ा ठोककर ताल।
जन-जन में अब हो रहा, अभिनन्दन का गान।
चक्रव्यूह को तोड़कर, योद्धा बना महान।
नत मस्तक हो देव भी, जिसको करें प्रणाम
ऐसे योद्धा वीर का, जपे देश है नाम।
वायुदेव स्तब्ध हैं, ऐसी भरी उड़ान
अभिनन्दन है विश्व में, बना चुका पहचान।
तीन पुश्त से कर रहे, देशहितैषी काज
गौरव गाथा गूँजती, अभिनन्दन की आज।
हर माता है चाहती, अभिनन्दन सा लाल
बन के चन्दन सा सजे, भारत माँ के भाल।।