“ख़ुमार…”
“ख़ुमार…”
तुमने यूँ फ़रामोश कर दिया
गोया कल का अख़बार हूँ मैं !
तेरे सौदाईयों की फ़ेहरिस्त में
अब भी पहले सा शुमार हूँ मैं !
दीवानेपन की इंतिहा ना कोई
चलता-फिरता इश्तिहार हूँ मैं !
तुमपे कोई रंग ना दिखा मेरा
वैसे तो बा-असर ख़ुमार हूँ मैं !
तेरा पहलू ना कभी रहे ख़ाली
बस इसी का तलबगार हूँ मैं !
फ़रामोश: भुलाना; सौदाई; दीवाना; फ़ेहरिस्त: सूची; शुमार: शामिल; इंतिहा: अंत;
इश्तिहार: विज्ञापन; बा-असर: असरदार, ख़ुमार: नशा; तलबगार: इच्छुक