चले आओ
चले आओ
नहीं पल कोई भी ऐसा
जब तुम्हें हम याद न करते हैं।
आ जाओ लौटकर सनम
मिलने की फ़रियाद करते हैं।
ख़ुशियाँ अधूरी मेरी जिसमें
ज़िक्र तुम्हारा होता न हो।
फ़ासलें मिटा दो दिलों के
शायद हम कल हो न हो।
शिकायतें करना जी भरकर
मंज़ूर हमें जो भी दोगे सजा।
साथ तुम्हारा जिंदगी भर का
रब कुबूल कर ले मेरी रजा।।