ख़्वाब
ख़्वाब
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अक्सर आँखों में आते हैं ये,
सोते अरमानो को जगाते हैं ये
मंज़िल तक कोई बाद में पहुचता हैं
मंज़िल की तस्वीर दिखाते हैं ये
कोई ज़िन्दगी से मोहब्बत करता है
कोई कुदरत से मोहब्बत करता है
कोई कहे न कहे
पर हर दिल में कोई न कोई ख़्वाब घर रखता है
उस घर को सजाते हैं ये
कोई किसी के साथ का ख़्वाब देखता है
कोई किसी की हंसी का ख़्वाब देखता है
कोई इज़हार करे न करे
पर हर ज़ेहन में यह जज़्बात बेक़रार करता है
उस जज़्बात की कशिश बताते हैं ये
ये ख़्वाब रोशनी भी हैं
और जीने की हसरत भी हैं
यह ख़्वाब ही है सफ़र की शुरुआत
और मंजिल भी यह