ग़ज़ल/प्रार्थना
ग़ज़ल/प्रार्थना
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हाथ तेरा सदा मेरे सर पे रहे
तेरे चरणों का बस आसरा चाहिये।
ऐसा वर दे हमे ज्ञान पथ पर बढ़ें
जोत जलती रहे सिलसिला चाहिये।
सत्य की राह हो प्रेम से दिल भरा
हमको तेरी नज़र की अता चाहिये।
देह मेरी धरा पर न बेकार हो
रूह कहने लगी अब सिला चाहिये।
हम तो बालक तेरे थोड़े नादान हैं
दिल तेरा हमको ममता भरा चाहिये।
"गीत" बढ़ता रहे नेक राहों में चल
हर कदम साथ तेरा हुआ चाहिये ।
मेरे जीवन को तेरी दया चाहिये
शारदे तार दे इक कृपा चाहिये।