धूम धड़क्कड़ इक्कड़ पक्कड़
धूम धड़क्कड़ इक्कड़ पक्कड़
1 min
6.9K
धूम धड़क्कड़ इक्कड़ पक्कड़
दे जमा के लात की
कान मोड़, हाथ तोड़ जिसने उल्टी बात की
बात न यह बात देखो बात ये आघात की।।
रौशनी है फिर अँधेरा, दिन में हुई रात की।
धूम धड़क्कड़ इक्कड़ पक्कड़।
दे जमा के लात की।।।
शाम भी है जाम भी है, न कमी है नाम की
जिसने दिया नाम, वही जी रहा है ज़िन्दगी गुमनाम की
बन्धनों को तोड़ दे तू, परिभाषा आयाम की
वो ही विजयी हुआ जिसने कष्टों से मुलाक़ात की
धूम धड़क्कड़ इक्कड़ पक्कड़।
दे जमा के लात की।।।
कान मोड़, हाथ तोड़ जिसने उल्टी बात की