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शोर ए दिल

शोर ए दिल

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शहीदों के लहू ने ,इसकी अस्मत,को संवारा है।

करें इसकी हिफाज़त,फ़र्ज़ अब, बनता हमारा है ।।

वतन की आबरू, पे, आंच तक, आने नहीं देंगे।

 हमारी जान से ज़्यादा, हमें ये देश प्यारा है।।

हमारा देश गुँचा है, कई धर्मों के, फूलों का।

हमारी एकता से, ये जहाँ, हैरान सारा है ।।

कोई दुश्मन, कभी नुक्सान इसका, कर नहीं सकता।

इसे संतों फकीरों की, दुआओं का सहारा है ।।

वतन से प्यार करते हैं, सो इसकी शान की खातिर। 

हमें बाजी लगाना, जान तक की, भी गवारा है ।।

कई दिलचस्प नजराने, दिए सौगात कुदरत ने।

हर इक मौसम ने, अपने रंग से, इसको निखारा है।।

तमन्ना है ‘शशि’ की, देश के कुछ काम आ जाऊँ। 

इसी की गोद में, खा-खेल के, हर पल गुज़ारा है।।


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