आत्मरक्षा v/s हत्या
आत्मरक्षा v/s हत्या
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उस दिन चुपके से कोई पीछे से आकर
मेरे उदास पड़े कंधे पर अपना हाथ रखा
दिल ने कहा दोस्ती का हाथ होगा
दिमाग ने कहा नहीं
दोस्त, चोर दरवाजे से घर में दाखिल नहीं होते
यह हाथ कंधे से होकर छाती तक पहुँचे
इन्हें काट देना चाहिए
दरअसल, वह कटा हाथ एक अजनबी का था
अब अजनबी दोस्त भी हो सकता है, और दुश्मन भी ?
अपनी आत्मरक्षा में इसी तरह मैंने हज़ारों हाथ काट डाले।