उज्ज्वल सवेरा
उज्ज्वल सवेरा
शराफ़त का चोला ओढ़े
शक्ल ले रक्खा है
शरीफों का ..............
इंसान की खाल में
भेड़िया घूमा करते हैं
सरे बाजार मिल जाऐंगे
कदम कदम पर ...........
अमानुष ,बहुरुपिये
और फरेबी .................
अपनी हिफ़ाज़त हमें
ख़ुद करनी होगी ...........
अपने स्वावलंबन को
अपना हथियार बनाना होगा
अब और कुछ ना सोचो
ना पीछे हटो ..................
अपने कदम को आगे
बढ़ाना होगा ...................
सब एक साथ
कदम से कदम मिलाकर
तो देखो .........................
पर्दाफाश कर के
बेनकाब कर दो
स्वयं छट जाऐगी
ये धुंध और ये घुप्प अंधेरा
पेड़ों की टहनियों से
जब छन कर
सूरज की किरणें
धरती पर पड़ेंगी
तो फिर होगा पवित्र
निर्मल और उज्ज्वल सवेरा ।।।