तुम बिन
तुम बिन
रोते रोते शब गुजर जाती है तुम बिन,
जान इस दिल से निकल आती है तुम बिन।
कोशिशें दिल को हँसाने की किये हम,
पर हँसी उसको नहीं आती है तुम बिन।
फिर परेशां होके हम महफ़िल से निकले,
बज़्म कोई भी नहीं भाती है तुम बिन।
हर खुशी ग़मगीन होती जा रही है,
क्यूँ खुशी मुझसे ही घबराती है तुम बिन?
साथ तेरे चाह जीने की रही बस,
जिंदगी कितना ये तड़पाती है तुम बिन।