अंतर्मन
अंतर्मन
तुम्हारी हर हरकत का मैं एक हिस्सा हूँ।
तुम्हारी हर कहानी का मैं एक किस्सा हूँ।
हाँ तुम जो देश को गंदा करते हो,
और देख के भी अनदेखा करते हो।
हाँ तुम जो पैसों के लिए लड़ते हो,
और उससे ही व्यक्ति का व्यापार करते हो।
हाँ तुम जो लड़की की इज़्ज़त नहीं करते हो,
और देश को आगे बढ़ाने की बात करते हो।
हाँ तुम जो मेहनत करने से कतराते हो,
और सफल होने की कामना करते हो।
हाँ तुम जो हिंसा को भड़काते हो,
और शांति की प्रार्थना करते हो।
हाँ तुम जो युवाओं को भटकाते हो,
और धर्म की राह पर चलने को कहते हो।
हाँ तुम जो हर वक़्त स्वार्थी बनते हो,
और दूसरों से अच्छे की उम्मीद करते हो।
हाँ तुम जो दूसरों की गलती को ढूँढते हो,
और स्वयं की बुराइयां ना देखते हो।
हाँ तुम जो दूसरों को धोका देते हो,
और उनसे आगे निकलने की कोशिश करते हो।
सुधर जाओ बस अब तुम यहीं,
करो वही जो हो सही।
अब ना ढूंढो तुम मुझे यहाँ-वहाँ,
मैं हूँ वहीं तुम हो जहाँ।
मैं हूँ तुम्हारे तन के अंदर का तन,
जिसे कहते हो तुम अंतर्मन।