प्रेम कविता
प्रेम कविता
ये सच है
तमाम कोशिशों के बावजूद
मैंने नहीं लिखी है
एक भी प्रेम कविता
बस लिखा है
राशन के बिल के साथ
साथ बिताए
लम्हो का हिसाब
लिखी हैं डायरी में
दवाइयों के साथ
तमाम असहमतियों की
भी एक्सपायरी डेट
लिखे हैं कुछ मासूम झूठ
और कुछ सहमे हुए सच
एकाध बेईमानी
और बहुत सारे समझौते
कब से कोशिश में हूँ की
आँख बंद होते ही
सामने आए तुम्हारे चेहरे
से ध्यान हटा
लिख पाऊँ
मैं भी
एक अदद प्रेम कविता...