कागज़ नहीं दिखाएंगे
कागज़ नहीं दिखाएंगे
वो अकेला ही चिल्लाये रहा था,
कहीं एक कोने में खड़ा होकर !
कागज़ात को लेकर गुस्से में था,
पीछे था हुक़ूमत के हाथ धोकर !
बड़ा जोशीले अंदाज़ में वो बोला,
अपने मुख-पट को उसने खोला !
"नागरिक क्यों कागज़ दिखाएंगे?
यहीं पैदा हुए, यहीं मिल जाएंगे !"
लोग उससे जुड़ गए, बात सुनकर,
गाली दी हुक़ूमत को चुन-चुनकर !
सत्ता में खलबली मची, वो घबराई,
आवाम के एका से खिंच वो आयी !
बोला,"आप कागज़ क्यों दिखाएंगे,
नाराज़ हो आप, हम घबरा जाएंगे !
आप का रूठना हमें पड़ेगा भारी,
हमसे छीन जायेगी ये सत्ता प्यारी !"
"आपको हम कर देंगे अति प्रसन्न,
लक्ष्मी को कर देंगे जेब में आसन्न !"
लक्ष्मी का नाम से वो मुस्कुरा दिया,
नोट-दर्शन ने चेहरा उद्दीप्त किया !
उसी उद्दीप्त चेहरे को अब लेकर,
विरोध ख़त्म किया कुछ ले-देकर !
कागज़ अब उनकी जेब में समायेंगे,
और उन्हें वो कभी नहीं दिखाएंगे !