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Nisha Nandini Bhartiya

Others

5.0  

Nisha Nandini Bhartiya

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परेशान बारिश

परेशान बारिश

1 min
342


परेशान बहुत है                   

यह बारिश का पानी 

हो गई व्यर्थ, अब

नानी की कहानी।


कागज की नाव                  

न चलती अब पानी में, 

न छत पर छम-छम कर

भीगते बच्चों की टोली, 

बारिश में नहाना, खेलना-कूदना

हुड़दंग मचाना, अब

बातें ये सब हो गई पुरानी।         

हो गई व्यर्थ, अब 

नानी की कहानी।


न घटाओं को निहारती     

बोझिल सी आँखें

न करती इंतजार सावन का 

कोमल सुकुमारियों की टोली 

न साथी न संगी 

न खेल न तमाशा, अब

सब कुछ है नकली 

सब कुछ बेमानी 

हो गई व्यर्थ अब 

नानी की कहानी।


न बदलों संग उड़ते 

अबोध शिशुओं का झुंड,  

न इंद्रधनुषी रंगों में रंगें

बच्चों संग बुजुर्गों का साथ, 

अब न होती सुनहरी सुबह 

न होती खिलखिलाती शाम।

बेचैनी की चादर लपेटे, अब

हर किसी की कुछ न कुछ परेशानी। 

हो गई व्यर्थ, अब

नानी की कहानी।


न अमवा की डाली पर

पैंग बढ़ाती किशोरियाँ, 

न कदंब की छाया में         

हिंडोले का गीत संगीत, 

न गलबहियां डाले              

झूला झूलती टोलियां, 

अब सब कुछ नेट पर ढूंढती   

यह अंगुलियाँ दीवानी।

हो गई व्यर्थ, अब

नानी की कहानी।


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