तुम्हे तो होगा यक़ीन !
तुम्हे तो होगा यक़ीन !
तुम्हे तो होगा यक़ीन,ये यक़ीन है मुझे
मैं जिस मुक़ाम पे हूँ
वो सफ़र है तेरे मुक़ाम का
भूलने लग गया हूँ
मैं कौन हूँ क्या हूँ
खो रहा हूँ यक़ीन खुद पे, बस यक़ीन ये की
यक़ीन अब कुछ भी नहीं
पर फिर भी
तुम्हे तो होगा यक़ीन, ये यक़ीन है मुझे।
अब तलक याद है मुझे
की हम दोनों का मौसम
सावन है
पर इस बार बारिश में
बादल वैसे न आये थे
उस से ज्यादा तो बारिश
होती रही और कही
साल दर साल
बढ़ रहा पानी और डूब रहा हूँ मैं
तुम्हे तो होगा यक़ीन, ये यक़ीन है मुझे।
ज़माना है बड़ा दीवाना,दीवानो का
क्योंकि चाहिए कोई
मारने को पत्थर
यक़ीन पे सवाल उठाने को
और हंसने पर दीवानगी के
पर फिर भी
तुम्हे तो होगा यक़ीन, ये यक़ीन है मुझे।
ग़र कभी खो दूं मैं खुद को
तुम्हे याद रखने की ज़िद में
ये यक़ीन की तुम याद रखोगी मुझे
मेरी दीवानगी के बदले में
ज़माना तो कहेगा ही हमें "फ़िज़ूपर फिर भी
तुम्हे तो होगा यक़ीन, ये यक़ीन है मुझे।