बता कर क्या मिलेगा
बता कर क्या मिलेगा
बता कर क्या मिलेगा,
अनजान लोगों को पहचान बताकर।
जो जानता ही नहीं मंज़िल मेरी,
बताकर क्या मिलेगा,
इस कोहरे में अपनी मंज़िल दिखाकर।
इस राह पर कब से चला,
बताकर क्या मिलेगा,
खोये हमसफ़र हो को फिर से पाकर।
जो देखकर मशरूफ रहते,
बताकर क्या मिलेगा,
हो गए आज फिर तनहा उन्हें बुलाकर।
कुछ है पहचाने चेहरे सफर में,
बताकर क्या मिलेगा,
ये हूँ मैं, ये चेहरा है मेरा,
इस मंज़िल पर आकर।
बता कर क्या मिलेगा,
अनजान लोगों को पहचान बताकर।