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स्पर्श

स्पर्श

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जन्म लिया जब मैंने,

पहचाना माँ का स्पर्श,

हर पल सुरक्षित थे हम,

ऐसा था माँ का स्पर्श।


चलना सीखा है, पढ़ना सीखा,

जीवन में आगे बढ़ना सीखा,

तुमने निर्भय बनाया था मुझे,

कुछ यूँ था मेरे पिता का स्पर्श।


बचपन में करते अठखेली,

प्यार और तकरार भी करें,

कितनी भाता था हम सबको,

भाई-बहन, दोस्तों का स्पर्श।


जीवन में रंग नया भर गया,

पाकर प्रियतम का पावन स्पर्श,

फिर वो प्यारी घड़ी आयी थी,

जीवन को नवजीवन मिला।


मेरा रोम-रोम पुलकित हुआ,

घर-आँगन भी चहुंओर खिला,

गोदी में नन्ही परी आयी,

जीवन में बहुत खुशियाँ लायी।


सबसे पावन, सबसे प्यारा,

लगे नन्हे हाथों का स्पर्श,

वक्त ने फिर करवट बदली,

ये नन्ही कली पी घर चली।


दिल में अरमान, पिया का प्यार लिए,

पर हाय रे ! दुनिया तुझे ना भायी,

बोलो आखिर क्यों मासूम की खुशियाँ,

देखो दहेज बनी आज फिर हत्यारी।


मेरी ममता का मोल,

चुकाएगा जमाना कैसे,

हाय ! विधाता आज फिर

तू क्यूँ मौन था बोलो।


बोल कहाँ से लाऊँ मैं अपना वो

नन्हा, प्यारा और मासूम स्पर्श।।


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