यादें
यादें
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यादों के सफर का ये कारवाँ
लेके मैं चली हूँ अनजान डगर ।
जिंदगी अकेले यूँ कटती नही
नज़्म ही है मेरी अब हमसफर ।
ख़ामोशी भी ये गुनगुनाने लगी
जैसे सारे ग़म से हो बेख़बर ।
चलती ही जाऊँगी तयशुदा राहपर
चाहे मुश्किलें करे कितना भी कहर ।
ख़्वाबों की दुनिया कल हकीकत होगी
इन अंधेरों में भी मैं लाऊँगी सहर ।
जज़्बातों मे बह जाना मेरी फितरत नही
हौसला देती मुझको यादों की लहर।