प्यारे हैं बस सारे सारे
प्यारे हैं बस सारे सारे
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नहर नहर हैं चलते जब हम
लगता क्यों पानी भी चलता!
देख देख पानी की दुनिया
मन ख़ुशी से ख़ूब उछलता ।
हिला हिला कर फसलें अपनी
उधर खेत जब हमें बुलाते,
लगता जाकर कौली भर लें
मन को हैं कितना वे भाते ।
पर पेड़ों पर बैठे पक्षी
जाने क्या गपशप हैं करते।
एक दूसरे की शायद ये
कहानी और कविता सुनते।
कभी चहकते कभी फुदकते
कभी आँख भी हैं मटकाते।
हम तो चलते पगडंडी पर
आसमान में ये उड़ जाते।
ये भी प्यारे, हम भी प्यारे
नहर, खेत सब प्यारे प्यारे।
प्यारे पक्षी –पेड़ हमारे
प्यारे हैं बस सारे सारे ।