प्रेम पूजन
प्रेम पूजन
इस प्रेम की पूजा को थोड़ा समझो
प्रसाद भोग चढ़ावा पानी
नहीं चढ़ाया जाता इसमे
ह्रदय से करते हैं नमन उन्हें
सदा हँस कर विनती की जाती है
मिली हुई चोटों को मीठी कह कर
बस सुख की दुआएं उन्हें दी जाती है।
आरती थाल नहीं सजते
बस दुनिया सुन्दर हो जाती है
मंत्र जाप नहीं करते
बस याद उन्ही की आती है।
शबद कीर्तन भगवत सा
गीता का सार नहीं है
ये प्रेम की पूजा बिल्कुल सीधी
कड़वे जीवन की मीठी रसधार यही है।
इस प्रेम की पूजा को थोड़ा समझो।