ला-हासिल ख़ुशियाँ
ला-हासिल ख़ुशियाँ
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लम्हों के गुज़रने से यादें नहीं मिटती
खामोश हो रातें तो भी सहर की उम्मीद
नहीं बदलती ।
यूं ख़्वाहिशों के समंदर से रिश्ते किए
जा रहे हैं
तेज़ लहरों के झलकने से भी हसरतें
नहीं बदलती।
लहजे बदल जाएं कुछ अंदाज़ भी जुदा
हो फिर भी
तासीर-ए-ज़ुबां कि फितरत नहीं बदलती।
मौजूद हो दुनिया कि तमाम ख़ुशियाँ लेकिन
टूटे हुए दिल कि यादें नहीं बदलती।