हिम्मत
हिम्मत
बोलो ! हिम्मत कितनी हो ?
सच्चाई में ताकत जितनी,
सच कहने में उतनी हो !
पाँव पसारे पगडंडी बन,
झूठ पल रहा हर मन में,
प्रतिभाओं को करे खोखला,
युवा ! अधूरे सपनों में !
आशाओं की चिता जलाने,
भीड़ खड़ी है चौतरफा !
कदम-झूठ न मंजिल पाते,
कर लो कोशिश लाख दफा !
छलनाओं की राह रोकने,
बोलो ! हिम्मत कितनी हो ?
आघातों को सहने वाला,
शक्ति-तन्त्र है मुझमें भी,
आसमान पर फूल खिला दे,
नया करिश्मा हममें भी !
भूतकाल की दुनियादारी,
आगत का अभिनन्दन हो,
लेकिन रोते वर्तमान में,
कैसे शक्य समर्पण हो ?
आस्तीन के इन साँपों से,
लड़ने ! हिम्मत कितनी हो !
धर्म, जाति की सड़क बाँट दी,
चौराहों पर चकबन्दी !
मन्दिर-मस्जिद बेच रहे हैं,
सजा समर्थन की मण्डी !
श्वानों के कण्ठों में माला,
मुँह में अमृत की बूँदें !
फुटपाथों पर भूख चीखती,
निकल रहे आँखें मूँदे !
खामोशी से सब सहने को
बोलो ! हिम्मत कितनी हो ?