मायका
मायका
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एक सपना सुहाना टूट गया
मायका मुझसे छूट गया
छोटी सी मेरी वो गुड़िया
न जाने कब रुठ गयी
बचपन की मीठी बातें
न जाने कब भूल गयी
पता न चला कब बुन लिए
सपने राजकुमार के
वो राजकुमार ही दूर
सबसे ले गया
मायका मुझसे छूट गया
मस्ती शरारतें अब
अनुशासन में बदल गयी
खुलकर हँसने में भी
सोच शामिल हो गयी
पराया हुआ अपना घर
बेगाने अपने बन गए
अंजूम भीनी अँखिया
कहती कभी कभी
सपना सुहाना टूट गया
मायका मुझसे छूट गया